Nari Shiksha Abhiyan
दाना पानी सेवा संसथान द्वारा संचालित नारी शिक्षा अभियान जिसका आरम्भ दिनांक १० अगस्त २०२० किया गया। नारी शिक्षा के माध्यम से महिलाओ को शिक्षित व् कौशल बनाने के लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन क्लास देकर शिक्षित किया जा रहा है। इस अभियान के तहत १ लाख महिलाओं को निःशुल्क शिक्षा देकर कौशल व शसक्त बना कर उन्हें रोजगार के प्रति उत्साहित करना है। तथा महिलाओ को सेंटर के माध्यम से रोजगार प्रदान करना है।
आज जिस तरह से महगाई तेज़ी से बढ़ रही है आप सभी को महिलाओं के साथ मिलकर कार्य करने की जरुरत है नहीं तो परिवार चलना मुश्किल हो जायेगा। महगाई के साथ - साथ गरीबी का भी स्तर तेज़ी से नीचे गिर रहा है। आज महिलायें हर क्षेत्र में कार्य करने में सक्ष्म है चाहे वो देश की रक्षा हो या हवाई जहाज चलना और रेलगाड़ी के साथ -साथ बहुत सी महिलाएं देश चलने में भी सक्ष्म है फिर भी लोग उसको कमजोर की नज़र से देखते है। हर इंसान को अपनी सोच बदल लेनी चाहिए। और कन्धे से कन्धा मिलकर साथ में चलना चाहिए। गांवो में अभी भी देखा जाता है लोग अपनी माँ बहन बेटी और पत्नी को काम करने नहीं देते अगर कोई महिला काम करती तो उसके बारे में गन्दी टिप्णी करते है। यही कारन है हमारा देश इतनी जनसंख्या होने के बाद भी इतना पीछे है। जब नारी होगी शिक्षित तब बनेगा देश महान.
Nari Shiksha Abhiyan conducted by Dana Pani Seva Sansthan which was started on August 10, 2020. Through women education, women are being educated by giving online and offline classes to create education and skills. Under this campaign, by giving free education to 1 lakh women, they have to be made skillful and empowered to encourage them for employment. And women have to provide employment through the center.
Today the way inflation is increasing at a rapid pace, all of you need to work together with women or else it will become difficult to run a family. Along with inflation, the level of poverty is also falling rapidly. Today women are able to work in every field, whether it is protecting the country or walking in airplanes and many women along with trains are also able to walk the country, yet people view it as weak. Every person should change his mind. And shoulder to shoulder should walk together. It is still seen in the villages that people do not allow their mother, sister, daughter and wife to work, if any woman works then they make dirty comments about it. This is the reason why our country is so far behind despite being so populated. When a woman becomes educated then the country will become great .
sparrow protection House
दाना पानी सेवा संस्थान द्वारा चलाए जा रहे गौरैया संरक्षण अभियान के तहत गांव से लेकर शहर के गौरैया के घर तक मिट्टी के दीये लगाए जा रहे हैं। जिसे गौरैया बहुत पसंद करती है। यह पक्षियों को बचाने की पहल है, कृपया इस अभियान में शामिल हों और कई पक्षियों को बचाएं।
एक समय था बचपन में जब हम अपनें कच्चे व छप्पर के घरों में रहते थें।गौरैया भी हमारे साथ हमारे घरों में अपना घांेसला बनाती थी, हमे याद है, वो दिन जब हम सब अपने कच्चे मकान व छप्पर में बैठ कर खाना खाते थे, तो गौरैया हमारे पास आ जाती थी, और हमारे साथ खाना भी खाती और अपनें बच्चों के लिए खाना ले जातीथी व अपने बच्चे को खिलाती थी बच्चे चू.चू.चू. करके अपने घोंसले से खाने के लिएतेजी से बाहर की ओर निकलते हड़बड़ाहट से कभी-कभी नीचे भी गिर जाते थे, बच्चे बहुत छोटे हुआ करते थे तथा उनको हम डंडे पर बैठाकर उनके घोंसले में रखते थें। और जब तक बच्चें घोंसले से बाहर रहते तब गौरैया हमारे पास ही रहती जबतक बच्चें उसके पास न चालें जाए तब तक उनकी फिक्र रहती थी जैसे हर माॅ को अपने बच्चों की फिक्र होती लेकिन गौरैया को हम लोगों पर भरोसा भी रहता था। कि उसके साथ गलत नही होगा और आप को याद है, जब हम लोग अपने छतों पर दाना डालतें और गौरैया को पकड़ने की कोषिष करते और उस समय हम छोटे हुआ करते थेवो पल आज भी याद करके कितनी खुषी मिलती है, और जब सुबह होती तो उनकी मधुर व सुरीली आवाज को सुनकर हम लोगो की आॅखे खुलती थी।गौरैया की मधुर वाणी सुन कर दिल को एक अलग-सी खुषी मिलती थीक्या आप जानते हैसभी पक्षियों में केवल गौंरैया को ही इन्सानों के साथ रहना अच्छा लगता था लेकिन आज क्या वह मधुर चहचाहाने की आवाज सुनाई देती थी, क्या वह आज भी ऐसे दिखाई देती है वो बचपन मानो एक ख्वाब बनके रह गया है, क्या हमारे बच्चों को उनकी मधुर आवाज सुनने को मिलेगी ।
लेकिन आप चाहंे तो इस मुसीबत को रोक सकते हैं, दाना पानी सेवा संस्था के साथ मिल कर सभी प्रकार के जीव-जन्तु, पेड़-पौधे व पषु-पक्षियों को बचा सकते हैं। जिससे गौंरैया को बचाने व उनकी जनसंख्या बढ़ानें का प्रयास करके हम अपने घरों में थोड़ी सी जगह दे कर इन्हें बचा सकते है आप यकीन करिए आप को हृदय से खुषी होगीजरा सोचिये जब आप के पास गौंरैया आयेगी और आप के बच्चों के साथ मनोरंजन करेगी यह सब आप को देख कर कितनी खुषी होगी और जरा सोचिये अगर बिना पषु-पक्षियोंके दुनिया कैसी होगीक्या केवल आप को इस दुनिया में रहने का अधिकार है प्रकृति ने हम सभी को जीवन जीने व रहने का अधिकार दिया है और हमारी भी कुछ जिम्मेदारी है कि इन जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों व पषु-पक्षियों का संरक्षण करें और कुछ लोगों का मानना है कि ये सब हमें ईष्वर द्वारा प्राप्त हुआ है, ये सब बकवास है तो सायद उन्हे ये नही पता है, आज हम लोग क्यो इतनी बिमारियांे से जूझ रहे है. क्या आप ने कभी सोचा है किहम लोग इतनी खतरनाक बिमारियों का षिकार क्यों हो रहे हैं, आपको षायद पता होगा कि सारी बिमारी खाने से ही आ रहीं है लेकिन आप खाने के बिना नही रह सकते हैं, आज का किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए खतरनाक केमिकल व जहरीली दवाओं का उपयोग करता है जिससे उसकी फसल में लगे कीड़े-मकौड़े मर जाते है।क्या उस फसल में से उन दवाओं का असर खत्म हो जाता है, क्या पहले के लोग इतनी खतरनाक बिमारी का षिकार होते थे, अगर नही तो क्या कारण होगा, दाना पानी परिवार की सोच है कि पहले बहुत सारे पक्षी रहते थे जो इन सब कीड़ों-मकोड़ों को खा जाते थे और हम सब बिमारियों से दुर रहते थे लेकिन आज वो पक्षी कहाॅ गए अब भी हमारे पास समय है उन्हे बचाने का और हमें उनको बचाने के लिए प्रत्यन करना चाहिए, आज दाना पानी परिवार ने उन्हे बचाने के लिए दाना पानी सेवा संस्थान द्वारा एक प्रयास किया है हम सब मिलकर उन्हें बचाने का प्रयास करें। जिससे उनकी जनसंख्या को बढ़ाया जा सके।
Under the sparrow conservation campaign run by Dana Pani Seva Sansthan, earthen lamps are being planted from village to the house of the town sparrow. The sparrow likes it very much. This is an initiative to save birds, please join this campaign and save many birds. There was a time in childhood when we used to live in our raw and thatched houses.
Gauraiya also used to make his own cabin with us in our homes, we remember, the days when we all used to eat in our raw houses and thatch, So the sparrow used to come to us, and would also eat food with us and take food for her children and feed her child. We used to eat from our nests and sometimes fall down from the haggard coming out of the fast, the children were very small and we used to sit on the poles and keep them in their nests.
And as long as the children were out of the nest, the sparrow used to stay with us till the time the children came to him, they used to worry about it like every mother would worry about their children, but the sparrow also had faith in us. That will not be wrong with him and you remember, when we used to put grains on our roofs and try to catch the sparrow and at that time we used to be small, that moment is still very happy to remember, and when it was morning Hearing his melodious and melodious voice, we opened the eyes of the people. Hearing the sweet voice of Gauraiya, the heart used to get a different happiness. The sound of chirping was heard, does it still look like that childhood has remained as a dream, will our children get to hear their sweet voice. But if you want, you can stop this trouble, together with Dana Pani Seva Sanstha, you can save all kinds of animals, animals, plants and animals.
By which we can save them by giving some space in our homes by trying to save Gowraiya and increase their population. You can be sure that you will be happy with your heart. How happy it would be to see you and just imagine what the world would be like without animals, only you have the right to live in this world, nature has given all of us the right to live and live and we also have some responsibility that these creatures -Protect animals, trees, plants and animals and some people believe that we have got all this by God, it is all nonsense, they do not know it, today we are suffering from so many diseases is. Have you ever wondered why we are suffering from such dangerous diseases, you might know that all the disease is coming from food but you cannot live without eating, today's farmers to save their crops Uses hazardous chemical and poisonous drugs to kill insects and insects in his crop.
Do those drugs end the effect of that crop, were the earlier people suffering such a dangerous disease, if not What will be the reason, Dana Pani family thinks that there used to be a lot of birds that used to eat all these insects and we used to stay away from diseases but today those birds have been called, we still have time to save them. And we should make an effort to save them, today the Dana Pani family has made an effort by the Dana Pani Seva Sansthan to save them and together we all try to save them. So that their population can be increased.
Nishulk Kapda Abhiyan
दाना पानी सेवा संसथान द्वारा संचालित निशुल्क कपड़ा वितरण अभियान के तहत गरीब, मजदूर परिवार, असहय, जरूरतमंद साथियों को नये व पुराने कपड़े वितरण किये जाते है। कम्पनी व दयालु निष्ठावान भाइयों द्वारा संसथान को सहायता प्रदान किया जाता है। संस्था आप सब से अपील करती है इस अभियान में शामिल होकर जरुरत मंद साथियों की सहायता करें।
New and old clothes are distributed poor, laborer family, unbearable & needy companions under the free clothe distribution campaign conducted by dana pani seva sansthan. the organization is supports by company kind -hearted brothers.